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Wednesday, 12 May 2021

Kala khan manganiyar lakha



*जांगडू गायकी और कामायचा वादन के सिद्धहस्त कला खान का निधन*

*इतिहास और पारंपरिक शुभराज में हासिल थी महारत*

कमायचा वादन के सिद्धहस्त हस्ताक्षर लोक कलाकार कला खान का बीते सोमवार को रमजान के सत्ताईसवे रोजे के दिन निधन हो गया. जिसके पश्चात उनके पैतृक गांव लखा सहित आसपास के क्षेत्र में शौक की लहर छा गई.कमायचा वादन के क्षेत्र में यह गंभीर क्षति है क्योंकि कुछ समय पूर्व ही लोक कलाकार दप्पू खान का भी निधन हो गया था. कामायचा आधुनिक यंत्रो के तुलना में बेहद कठिन और मोहक वाद्य यंत्र है

*दिल है हिंदुस्तानी फेम से संबंधित थे कला खान*

कला खान कई विश्व प्रसिद्ध मंचो पर अपनी चमक बिखेर चुके दिल है हिंदुस्तानी फेम का चेहरा थे.फेम के फकीरा खान का विशेष लगाव था.इनको प्रसिद्ध मरुधरा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.कलाओं की कद्र करने वाले लोगों के लिए कला खान ड़िंगळ ग्रन्थ थे. फकीरा खान अपने संस्मरण में बताते है कि यह मुलाकात यूं निखरी की कभी ऐसा न लगा कि हम अलग अलग है.कला खान जी को कलाओं की समझ उनके पिताजी फतेह खान से विरासत के रूप में मिली थी.कला खान का निजी जीवन अगर महाग्रंथ सा था तो उसके समक्ष सामाजिक जीवन बहुत छोटा प्रतीत होता है.कलाओं से राबता रखने वाले कला खान का संगीतज्ञ किरदार व्यापक फलक पर बिछा हुआ है.ये उनका प्रेम ही थी कि उन्होंने अपना सारा जीवन कमायचा वादन में बिता दिया.कलाकार कला के प्रति जितना संजीदा हो सकता है ये कला खान का चरित्र दिखाता है.

*ड़िंगल की जांगडू गायकी के लिए रहे हमेशा से चर्चित*

ड़िंगळ का व्याकरण ज्ञान विस्तृत फैला हुआ है जिसमे से हर एक विधा की गायकी और सुर साज में अंतर होता है.ड़िंगळ छंदों में व्याकरण के बदलने के साथ सुरों में भी बदलाव आता है.कला खान जांगड़ा छंद (गीत) के ज्ञाता और वाचक थे.ड़िंगळ की जांगडू गायकी गाते हुए जब उनके हाथ से कमायचा बजता तो हर कोई कायल हो जाता.किताबी पढ़ाई लिखाई से दूर होते हुए भी कला खान ड़िंगळ छन्दो और शुभराजो को कंठस्थ कर सुनाते थे.साझा संस्कृतियो की धरोहर इस कलाकार के जाने से कला जगत को जो हानि हुई है वह अपूरणीय है.

*शुभराज व सादगी से कमाई यश-संपदा*

शुभराज पूर्वजो के छंदबद्ध ऐतिहासिक वर्णन को कहते है.सामान्यतः माँगनिहार कलाकार ही शुभराज के गायक होते है.आप लखा के खोखर राजपूतों व केसरिया राजपुरोहितों के इतिहास की गहरी समझ रखते थे.खोखरो का शुभराज अर्थात यशोगान करते समय वे खुद तो ओज से भरते ही थे सुनने वाले में भी तरंग उठ जाती.गनी खान बताते है कि चार घण्टो तक लगातार शुभराज करते थे कला खान.ड़िंगळ के ज्ञान,कमायचा वादन की प्रतिभा,ओर शुभराज की समझ के बावजूद खुद को सादा बनाये रखा.उम्र और ओहदे बढ़ने के साथ कई महत्वपूर्ण नाम भी जुड़ते गए.जिनमे पूर्व महाराजा गज सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. जसवंत सिंह जसोल का नाम विशेष है.
                            

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