Friday, 23 August 2024

राजस्थान के टॉप सिंगर कुटले खान

कुटले खा राजस्थान के टॉप लोक गायक है।यह 80 से अधिक देशों में अपनी मखमली आवाज का जादू बिखेर चुके है। यह प्रतिष्ठित जीमा अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले प्रथम मांगणियार लोक गायक है। यह आइफा अवार्ड समारोह, जेएलएफ, एनएमएसीस एवम् ईशा फाउंडेशन कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति दे चुक है। 

Tuesday, 24 May 2022

कान्स फिल्म फेस्टिवल में रेड कारपेट पर चलने वाले प्रथम भारतीय लोक कलाकार मामे खान

*कान्स फिल्म फेस्टिवल में रेड कारपेट पर चलने वाले प्रथम भारतीय लोक कलाकार मामे खान*
17 मई 2022 का दिन राजस्थान एवं सम्पूर्ण भारत के लिए स्वर्णिम  ऐतिहासिक एवं अविस्मरणीय पल था। क्योंकि इस दिन राजस्थान के लाल मामे खान ने प्रतिष्ठित कांस फिल्म फेस्टिवल के प्रथम दिन रेड कारपेट पर चलकर इतिहास में प्रथम लोक कलाकार बनकर इतिहास रच दिया है।
एक दौर था जब राजस्थान संगीत का बाकी संगीत की तुलना में प्रभाव कम था और कम लोग ही इसे सुनते थे। तब मामे खान ने कसम खाई थी की लोक संगीत को कभी विलुप्त नहीं होने दूंगा तथा राजस्थान संगीत को भारत में अग्रिम पंक्ति में लाऊंगा । तत्पश्चात मामे खान ने मेहनत एवं संघर्ष के बल पर जो मुकाम हासिल किया है एवं राजस्थान लोक संगीत को जो ऊंचाईया दी है वो काफी काबिल ए तारिफ है

*सामान्य जीवन परिचय* :- मामे खान का जन्म जैसलमेर जिला मुख्यालय से  लगभग 100 किमी दूर छोटे से सतो गांव में उस्ताद राणा खान साहब के घर जन्म हुआ था। मामे खान के पिता  जांगड़ा एवं पारंपरिक लोक गायन शैली के आला दर्जे के गायक थे। तो घर पर हर वक्त संगीत की ही आवाज सुनाई देती थी। मामे खान का बचपन खिलौनों की बजाय वाद्ययंत्रों में बीता ,पिताजी  की इच्छा के अनुरूप मामे खान ने अपनी संगीत यात्रा ढोलक वादन से प्रारम्भ की थी।  तथा गांव में जजमानों के होने वाले मांगलिक अवसरों पर अपने पिताजी के साथ ढोलक बजाते थे। 
*संगीत यात्रा* मामे खान ने पहला शो मात्र 12 वर्ष की उम्र में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समक्ष  गायक के रूप में किया था।
1999 में विश्व टूर के दौरान विश्व के 40 देशों की यात्रा की जिसमे यूरोप महाद्वीप के फ्रांस , जर्मनी, बेल्जियम , ऑस्ट्रिया, इटली, हॉलैंड, कनाडा ,अमेरिका में न्यूयॉर्क,वॉशिंगटन, कनाडा का टोरंटो ,सिएटल  प्रमुख है। इसके पश्चात ऑस्ट्रेलिया, दुबई, तुर्की,बैंकॉक,यमन सहित अब तक 70 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके है। एवं अब तक मामे खान विश्व एवं भारत में 4 हजार से अधिक शो करने वाले एकमात्र लोक कलाकार है।
*बॉलीवुड में प्रस्तुति देने वाले प्रथम मांगणियार गायक बने*
 मांगणियार गायकी का एक सीमित क्षेत्र ही था बॉलीवुड में मांगणियार गायकी की कोई पहचान नहीं थी। वर्ष 2009 में ऋतिक रोशन की फिल्म "लक बाय चांस" में शंकर महादेवन के साथ "बावारे" गीत में आवाज देकर बॉलीवुड में मांगणियार संगीत का आगाज किया। बावारे गीत में शंकर एहसान लॉय ने म्यूजिक दिया तथा जावेद अख्तर ने इस गीत को लिखा था। इसके पश्चात मामे खान ने बॉलीवुड में अपनी गहरी छाप छोड़ी । 
कोक स्टूडियो में अमित त्रिवेदी के साथ चौधरी गीत जो हमेशा ट्रेडिंग में रहता है। बंगाली,मलयालम , हॉलीवुड तमिल फिल्मों में भी अपनी आवाज दे चुके है।
अभिषेक बच्चन की दसवी फिल्म में नखरालों गीत,हर्षवर्धन कपूर की मिर्जिया फिल्म में "चकोरा" "आवे हिचकी" एवम् एंथम सॉन्ग सहित फिल्म के तीन गानों में आवाज दी है। "बंदिश बंटीज" का थीम सॉन्ग में भी अपनी आवाज दी है। मामे खान से प्रेरित होकर मांगणियार समुदाय के कई युवाओं ने रियल्टी शो एवं बॉलीवुड में भी राजस्थान का नाम रोशन किया है।
*प्रमुख एल्बम सॉन्ग* मामे खान द्वारा निर्मित "डेजर्ट सीजन" एल्बम लोक कलाकार द्वारा निर्मित प्रथम एल्बम है एल्बम के गाने "सावन" के लिए वर्ष 2017 में सर्वश्रेष्ठ लोक गायक चुना गया तथा "ग्लोबल इंडियन म्यूजिक अवॉर्ड (जिमा) से नवाजा गया।
तत्पश्चात मामे खान  अमित त्रिवेदी के "मूछ"गीत ,हर्षदीप कौर के साथ "रब जोगी"एवं "बन्नी सा, सानू इक पल, इक तेरे बिन, दरारें दिल, ध्रुव घानेकर के साथ "बोले तो मिठो लागे"साजनिया, इक तेरे बिन, सहित प्रमुख एल्बम है।
*विश्व के दिग्गज संगीतकारों के साथ दे चूके है प्रस्तुति* मामे खान ऑस्कर पुरस्कार विजेता ए आर रहमान, उस्ताद जाकिर हुसैन, 11 बार ग्रैमी पुरस्कार विजेता बेला फ्लैक,अमित त्रिवेदी , सचिन जिगर,सलीम सुलेमान,  विशाल भारद्वाज,विशाल शेखर, कौशीकी चक्रवर्ती,सहित कई दिग्गज संगीतकारों के साथ संगीत साझा कर चुके है।
*समाज सेवा में भी रहते है अव्वल* मामे खान अच्छे संगीतकार के साथ साथ अच्छे व्यक्तित्व के भी धनी है यह शिक्षा,स्वास्थ्य, गायो  एवं कला में समाज सेवा के लिए तत्पर रहते है। कोरोना काल के दौरान भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कलाकारों की मदद के लिए आगे आए।एवम् शिक्षा एवं चिकित्सकीय सेवा के तत्पर रहते है।
*जमीनी स्तर से जुड़े है खान* मामे खान का संगीत के अलावा व्यवहार काफी प्रभावित करता है
 इतने बड़े स्तर पर जानें के बाद हर किसी से सादगी ,सरलता से बात करते है।
*अन्य उपलब्धियां* मामे खान द कपिल शर्मा शो, इंडियन आइडल, द वाइस इंडिया में बतौर अतिथि के रूप में शामिल हो चुके है। तथा राज्य सभा टीवी पर इंटरव्यू, प्रो कब्बड़ी लीग में राष्ट्रगान सहित ,सहित कई राष्ट्रभक्ति कार्यकर्मों में अपनी प्रस्तुति दे चुके है।
*सरकार से है आस* अंतराष्ट्रीय राष्ट्रीय एवं ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन करने वाली प्रतिभाओं पर राज्य सरकार द्वारा इनामों की बौछार की जाती है। हाल ही में कांस फिल्म फेस्टिवल में मामे खान ने  राजस्थान का प्रतिनिधित्व करके समूर्ण राजस्थान को गौरवान्वित किया है। अतः राज्य सरकार से आग्रह है कि आप  मामे खान को उचित सम्मान प्रदान कर गौरवान्वित करे। तथा राजस्थान एवम भारत सरकार से उम्मीद है की वह मामे खान को उच्च सम्मान से सम्मानित करे।

Tuesday, 3 May 2022

हॉटस्टार स्पेशलस के एस्केप लाइव में जैसलमेर के दीने खान की आवाज

*हॉटस्टार स्पेशलस के एस्केप लाइव में जैसलमेर के दीने खान की आवाज*
विश्व का सर्वश्रेष्ठ डिजिटल प्लेटफॉर्म में शुमार हॉटस्टार प्लस डिजनी के सामाजिक थ्रिलर में जैसलमेर के चेलक गांव निवासी अंतर्राष्ट्रीय लोक गायक दीने खान ने आवाज दी है। हॉटस्टार स्पेशल एस्केप का लाइव  ट्रेलर  लॉन्च हुआ है। इसके लॉन्च होते ही मात्र एक दिन में 6 मिलियन से अधिक  लोगों ने देखा है।
4444444ईजी4eeeeeeeeeeeeeee424++44eयह 20 मई को रिलीज होगा । दिने खान की इस प्रस्तुति से दिने खान के समस्त प्रंशसको एवं सम्पूर्ण राजस्थान में खुशी की लहर है। तथा 20 इसके पूर्ण रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे है।
*राजस्थान का करेंगे प्रतिनिधित्व*
 हॉटस्टार के इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति ,
 संगीत को दर्शाया जाएगा इसमें राजस्थानी संगीत का प्रतिनिधित्व दीने खान ने किया है।

दीनें खान विश्व लोकप्रिय मांगणियार सेडक्शन ग्रुप के अहम सदस्य है । वे मांगणियार सेडक्शन के साथ कलर्स टीवी पर प्रसारित इंडियाज गॉट टैलेंट में भी अपनी आवाज का जादू बिखेर चुके है। तथा बॉलीवुड की मशहूर गायक श्रेया घोषाल के साथ भी अपनी आवाज का जादू बिखेर चुके है।

दिने खान फिल्म जूनियर किशोर कुमार बंगाल के झिरमिर गीत तथा एल्बम अदाओं के रियाज में भी अपनी आवाज का जलवा बिखेर चुके है । दिने खान हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, बंगाली ,तमिल भाषाओं के गीत गाने के अलावा सूफी, गजल ,कवाली गानों में पारंगत कलाकार है

 *आशीष विद्यार्थी है दीने खान की आवाज के दीवाने*
 बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता  आशीष विद्यार्थी दीने खान की आवाज के इस कदर दीवाने है की वो दिने खान की आवाज सुनने सपरिवार उनके गांव चेलक आए थे। तथा उनके हर खुशी के कार्यक्रम में दीने खान अपनी आवाज से मंत्रमुग्ध करते है

Sunday, 5 December 2021

rajsthan#patwar

राजस्थान की शब्दावली 


राजस्थान लोकजीवन शब्दावली ✅
               
1. बिजूका – (अडवो, बिदकणा) – खेत मेंपशु-पक्षियों से फसल की रक्षा करने के लिए मानव जैसी बनाई गयी आकृति

2. उर्डो, ऊर्यो, ऊसरडो, छापर्यो - ऐसा खेत जिसमे घासऔर अनाज दोनों में से कुछ भी पैदा न होता हो

3. अडाव – जब लगातार काम में लेने से भूमि की उपजाऊशक्ति कम हो जाने पर उसको खाली छोड़ दिया जाता है

4. अखड, पड़त, पडेत्या – जो खेत बिना जुता हुआ पड़ा रहता है

5. पाणत – फसल को पानी देने की प्रक्रिया

6. बावणी – खेत में बीज बोने को कहा जाता है

7. ढूँगरा, ढूँगरी – जब फसल पक जाने के बाद काट ली जाती उसकोएक जगह ढेर कर दिया जाता है

8. बाँझड – अनुपजाऊ भूमि

9. गूणी – लाव की खींचने हेतु बैलो के चलने काढालनुमा स्थान

10. चरणोत – पशुओं के चरने की भूमि

11. बीड – जिस भूमि का कोई उपयोग में नहीं लिया जाता हैजिसमें सिर्फ घास उगती हो

12. सड़ो, हडो, बाड़ – पशुओं के खेतों में घुसने से रोकने केलिए खेत चारो तरफ बनाई गयी मेड

13. गोफन – पत्थर फेकने का चमड़े और डोरियों से बना यंत्र

14. तंगड-पट्टियाँ – ऊंट को हल जोतते समय कसने की साज

15. चावर, पाटा, पटेला, हमाडो, पटवास – जोते गए खेतों कोचौरस करने का लकड़ी का बना चौड़ा तख्ता

16. जावण – दही जमाने के लिए छाछ या खटाई की अन्य सामग्री

17. गुलेल – पक्षी को मारने या उड़ाने के लिए दो –शाखी लकड़ी पर रबड़ की पट्टी बांधी जाती जसमे में बीच में पत्थर रखकर फेंका जाता है.

18. ठाण – पशुओं को चारा डालने का उपकरण जो लकड़ी या पत्थरसे बनाया जाता है

19. खेली – पशुओं के पानी पिने के लिय बनाया गया छोड़ा कुंड

20. दंताली – खेत की जमीन को साफ करना तथा क्यारी याधोरा बनाने के लिए काम में ली जाती है

21. लाव – कुएँ में जाने तथा कुएँ से पानी को बाहरनिकालने के लिए डोरी को लाव कहा जाता है

22. रेलनी – गर्मी या ताप को कम करने के लिए खेत में पानीफेरना

23. नीरनी – मोट और मूँग का चारा

24. नाँगला – नेडी और झेरने में डालने की रस्सी

25. सींकळौ – दही को मथने की मथनी के साथ लगा लोहेका कुंदा

26. लूण्यो – मक्खन. इसको “घीलडी” नामक उपकरण मेंरखा जाता है

27. ओबरी – अनाज व उपयोगी सामान को रखने के लिय बनाया गयामिट्टी का उपकरण (कोटला)

28. नातणौ- पानी, दूध, छाछ को छानने के काम आने वालावस्त्र

29. थली – घर के दरवाजे का स्थान

30. नाडी – तलाई – पानी के बड़े गड्डो को तलाई आय नाडीकहा जाता है

31. मेर – खेत में हँके हुए भाग के चरों तरफ छोड़ी गयीभूमि

32. जैली – लकड़ी का सींगदार उपकरण

33. रहँट – सिंचाई के लिए कुओं से पानी निकालने का यंत्र

34. सूड – खेत जोतने से पहले खेत के झाड-झंखाड को साफकरना

35. लावणी – किसान द्वारा फसल को काटने के लिए प्रयुक्तकिया गया शब्द

36. खाखला – गेंहू या जौ का चारा

37. दावणा – पशु को चरते समय छोड़ने के लिए पैरों मेंबांधी जाने वाली रस्सी

38. हटडी – मिर्च मसाले रखने का यंत्र

39. कुटी – बाजरे की फसल का चारा

40. ओरणी – खेत में बीज को डालने के लिए हल के साथ लगाईजाती है इसको “नायलो” भी कहते है

41. पराणी, पुराणी – बैलो या भैसों को हाकने की लकड़ी

42. कुदाली, कुश – मिट्टी को खोदने का यंत्र

43. ढींकळी – कुएँ के ऊपर लगाया गया यंत्र जो लकड़ीका बना होता है.

44. चडस – यह लोहे के पिंजरे पर खाल को मडकर बनाया जाताहै जो कुओं से पानी निकालने के काम आता है

45. चू, चऊ – हल के निचे लगा शंक्वाकार लोहे कायंत्र

46. पावड़ा – खुदाई के लिए बनाया गया उपकरण

47. तांती – जो व्यक्ति बीमार हो जाता है उसके सूत या मोलीका धागा बाँधा जाता है यह देवता की जोत के ऊपर घुमाकर बांधा जाता है

48. बेवणी – चूल्हे के सामने राख (बानी) के लिए बनाया गयाचौकोर स्थान

49. जावणी – दूध गर्म करने और दही जमाने की मटकी

50. बिलौवनी – दही को बिलौने के लिए मिट्टी का मटका

51. नेडी – छाछ बिलौने के लिए लगाया गया खूंटा या लकड़ी कास्तम्भ

52. झेरना – छाछ बिलोने के लिए लकड़ी का उपकरण इसको “रई” भीकहते है

53. नेतरा, नेता – झरने को घुमाने की रस्सी

54. छाजलो – अनाज को साफ करने का उपकरण

55. बांदरवाल – मांगलिक कार्यों पे घर के दरवाजे परपत्तों से बनी लम्बी झालर

56. छाणों- सुखा हुआ गोबर जो जलाने के काम आता ह

Monday, 8 November 2021

उस्ताद अनवर खान मांगणियार बईया ustad Anwar Khan manganiyar baiya

*पश्चिमी राजस्थान के लिए स्वर्णिम पल*

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोक गायकी का डंका बजाने वाले अनवर खान पदमश्री से पुरुस्कृत


भारत पाक सीमा पर बसा जैसलमेर जिला अपने पीले पत्थरों की वजह से पूरी दुनिया में विख्यात है। यहां जो भी आता है, इसकी कला संस्कृति का कायल हो जाता है। यहां के धोरों की धरती की सोंधी महक के साथ जब यहां का लोक गीत बजता है, तब हर कोई दीवाना होकर झूमने लगता है। यहां के लोक कलाकार देश दुनियां में अपनी लोक कला का परचम लहरा रहे हैं। आज जैसलमेर के छोटे से गाँव बइया के लोक कलाकार अनवर खान को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित होने पर समस्त राजस्थान संगीत प्रेमियों ओर जैसलमेर के लोक कलाकारों में खुशी की लहर है।
लोक कला में जैसलमेर का नाम पूरी दुनियां में रौशन करने वाले अनवर खान जब लोक गीत गाते है, तो प्रकृति में शहद घुल जाता है। अनवर खान की गायकी में जादू है। थार के लोक गीत संगीत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में अनवर खान  की गायकी का अहम योगदान है। जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बइया में लोक गायक रमजान खान के घर जन्में अनवर के दादा भी लोक गायक थे। लोक गीत संगीत अनवर खान को परम्परा में मिला। अनवर खान ने बाड़मेर को अपना ठिकाना बना दिया।
*मांगणियार संगीत को दी नई ऊंचाईयां*  राजस्थान संगीत को उच्च स्तर पर प्रदर्शित करने में उस्ताद अनवर खान का महत्वपूर्ण योगदान है उन्होंने अपने भाई नियाज खान के साथ मिलकर अपना पूरा जीवन संगीत के प्रति समर्पित कर दिया है ,उनके यह बरसो की तपस्या है उसका परिणाम आज सबके सामने है ।

*बुलंद आवाज के धनी है अनवर खान*

अनवर खान की आवाज में मिठास व कंठ में वो ताकत है की अनवर साहब की आवाज बिना माइक के भी कई किलोमीटर तक सुनाई देती है। देवी भजनों, प्रभाती, सुभराज में सर्वाधिक पारंगत है।

*सादगी व नम्रता से कमाई यश संपदा*

लोग अनवर खान के संगीत के साथ साथ उनके व्यक्तित्व के बड़े कायल है। इतने ओहदे पर होते हुए हर किसी से नम्रतापूर्वक व्यवहार, सादगी और अपनत्व हर किसी को रास आता है। यही खासीयत कलाकार को महान बनाती हैं। 

*कुशल संगीत प्रशिक्षक बॉलीवुड में भी बिखेर चुके है अपना जादू*

अनवर खान की गायिकी का लौहा गजल गायक जगजीत सिंह भी मानते हैं। जगजीत सिेंह की एलबम पधारों महारे देश में मुख्य गीत का मुखडा अनवर खान ने गाया हैं। अनवर राजस्थानी तथा सूफी गायिकी की मिसाल है। अनवर खान रंगरसिया और धनक सहित कई फिल्मों एव एल्बमों में अपनी आवाज दे चुके है। अनवर ने अपने नेतृत्व में सैकड़ों कलाकारों को प्रशिक्षण दिया है आज इनके शिष्य भी बेहतरीन कलाकार है,राजस्थान रत्न, व मरुधरा रत्न सम्मानित नियाज खान, प्रसिद्ध बॉलीवुड गायक स्वरूप खान, रोशन खान, हयात खान, भुगर खान लतीफ खान और कमायचा वादक फकीरा खान सहित कई कलाकार है।

*संघ संचालक श्री मोहन भागवत भी इनके कायल*

अनवर खान की कला व सादगी व आचरण इस कद्र है की इनसे प्रभावित होकर संघ संचालक श्री मोहन भागवत मिलने बाड़मेर इनके घर आए थे। इनके अलावा विश्व के प्रमुख नेता  और कलाकार अनवर खान से काफी प्रभावित है।

*जजमानी प्रथा को देते है सर्वाधिक महत्व*

आज मांगणियार संगीत जिंदा या अस्तित्व में है तो सिर्फ और सिर्फ जजमानों की वजह से जजमान पिछले 15 पीढिय़ों इन पुराने संगीत व संगीतकारों को सरंक्षण प्रदान कर रहे है। अनवर खान भी अपने सभी कार्यक्रमों को छोड़कर जजमानों के घरों में होने वाली खुशियों में भाग लेते है।

*राष्ट्रपति के हाथो से होंगे दूसरी बार सम्मानित*

इससे पूर्व अनवर खान केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी अवार्ड के लिए सम्मानित हो चुके है। पदमश्री पुरस्कार पाने वाले और राष्ट्रपति के हाथो दो बार सम्मानित होने वाले अनवर खान इकलोते मंगणियार गायक है।


*55 से अधिक देशो में दी प्रस्तुति, लोक गीत संगीत की बारीकियां सीखी*

सम्पूर्ण भारत के साथ साथ लगभग 55 देशों में अपनी गायकी का परचम लहरा चुके अनवर खान ने विख्यात संगीतकार ए.आर.रहमान की फिल्मों में भी गा चुके हैं। साथ ही, कई हिन्दी फिल्मों में अपनी लोक गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं। लोक गायकी के अलावा अनवर खान बेहतरीन सुफी गायक है। जब अनवर सुफी में लोक गीत गाते हैं, तो श्रोता मदमस्त हो कर झूम उठते हैं।
अनवर खान का अपना दल है, जिसके माध्यम से देशविदेशों में लोक गीत संगीत के कार्यक्रम करते है। शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोक गीतों में बसती है, यह अनवर का मानना है। अनवर रागों में विश्वास नहीं रखते अनवर का मानना हैं कि राग गीतो में होता है। लोक गीत प्रकृति की देन हैं, हम प्रकृति अका भरपूर आनन्द उठाते हैं। अनवर को लोक गायक होने का गर्व है।Ganni khan Lakha

Tuesday, 14 September 2021

सांची का स्तूप

*सांची के स्तूप से संबन्धित जानकारी:* 

1. सांची के स्तूप का निर्माण मौर्य सम्राट अशोक ने तीसरी शती ई.पू में करवाया था |

2. ऐसा माना जाता है अशोक ने यहीं इस स्तूप का निर्माण इसलिये कराया क्योंकि उसकी पत्नी देवी, जो विदिशा के एक व्यापारी की बेटी थी, का संबंध सांची से था |

3. सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में 1912 से लेकर 1919 तक सांची के स्तूप की मरम्मत कराई गयी |

4. सर जॉन मार्शल ने 1919 में सांची में पुरातात्विक संग्रहालय की स्थापना की, जिसे बाद में वर्ष 1986 में सांची की पहाड़ी के आधार पर नए संग्रहालय भवन में स्थानांतरित कर दिया गया।

5. सांची में स्थित स्तूप संख्या-1 या ‘महान स्तूप’ भारत की सबसे पुरानी शैल संरचना है |

6. सांची स्तूप में बुद्ध के अवशेष पाये जाते हैं | ये स्तूप भगवान बौद्ध को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं|

7. सांची, विशेष रूप से स्तूप संख्या-1, में ब्राह्मी लिपि के शिलालेख उत्कीर्ण हैं |

8. सांची के स्तूप का व्यास 36.5 मी. और ऊँचाई लगभग 21.64 मी. है |

9. सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद सबसे पहले जिस स्तूप का निर्माण कराया वह सांची का स्तूप ही था|

10. बौद्ध धर्म में सांची ऐतिहासिक महत्व का स्थल है,जबकि बुद्ध ने कभी भी सांची की यात्रा नहीं की थी |

11. सांची का निर्माण बौद्ध अध्ययन एवं शिक्षा केंद्र के रूप में किया गया था |

12. सारनाथ से मिले अशोक स्तम्भ, जिस पर चार सिंह बने हुये हैं, के जैसा ही एक अशोक स्तम्भ सांची से भी मिला है| इन स्तंभों का निर्माण ग्रीको-बौद्ध शैली में किया गया था |

13. सांची का स्तूप बुद्ध के ‘महापरिनिर्वाण’ का प्रतीक है|

14. वर्ष 1989 में इसे युनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया

Monday, 13 September 2021

भारत का गौरव अनुराधा पाल की जीवनी

संगीत के सच्चे साधक अनुराधा पाल - अनुराधा पाल तबला वादन में एक लोकप्रिय नाम है । इसका संगीत के प्रति जोश,जुनून,ज्जबा ,इतना है कि संगीत के लिए कितनी भी मेहनत हो कैसी भी परिस्थिति हो वह पीछे नहीं हटते है। अनुराधा पाल संगीत के साथ - साथ पारिवारिक कृतव्यो का निर्वहन भी बहुत अच्छी तरह से करते है। उनके जीवन में ऐसी कई परिस्थितियां आई  फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है इन सब परिस्थितियों को अपने जीवन पर हावी नहीं होने दिया तथा कठिन परिश्रम कर दुनिया के सामने एक शानदार मिशाल पेश की । कि परिस्थितियां कैसी भी हो उनका डटकर सामना करो मंजिल अपने आप मिल जाएगी। अनुराधा जी पाल अपने कर्तव्यों,वचन ,समय ,एवं अनुशासन में पाबंद रहते है
। परिवार देखभाल व संगीत उनका है मुख्य कर्तव्य - एक बार इनके माता - पिता दोनों ही अलग - अलग अस्पताल में भर्ती थे तब इन्होने इन दोनों अस्पतालों के मध्य में रहकर उनकी भली भांति से देखभाल की तथा अपना रियाज भी जारी रखा। अक्सर हम पढ़ते है कि क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के पिताजी की मौत के बाद भी वह क्रिकेट खेलते रहे। अब ऐसा सुनकर भी अजीब लगता है। कितना दुख होता है जब संसार के सबसे प्रियतम व्यक्ति या जिन्होंने हमे यह संसार दिखाया वो व्यक्ति इस दुनिया को अलविदा कह गया। लेकिन देश व अपने कर्तव्यों पर खरा उतरते हुए उन्होंने इस मैच में शतक लगाकर भारत को संकट से उबारा तथा भारत को मैच जिताया ।  और इसी तरह से वाकया संगीत की सरस्वती ,तबला की जादूगर, आदरणीया अनुराधा जी पाल के साथ हुआ । अनुराधा जी पाल का कार्यक्रम तय हो रखा था इनके बैंड के समस्त सदस्य तय समय पर पहुंच गए थे । लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ।कार्यक्रम के दो दिन ही पहले अनुराधा जी पाल के पिताजी आदरणीय देवेन्द्र जी पाल इस दुनिया से विदा हो गए। अपने पिताजी की मौत के गम में  खुद को संभाल पाना भी एक मुश्किल भरा काम है । अब उनके कार्यक्रम का दिन भी आ गया । भारत जैसे देशों में अपनों की मौत के गम में एक साल तक संगीत न बजता और न ही बजाते । लेकिन अनुराधा पाल जी ने खुद को संभालते हुए दूसरे दिन अपने इस कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर लाखो लोगो की भीड़ को प्रफ्फुलित किया ।इन्हे हौसला दिलाने के लिए इनकी माताजी आदरणीया इला पाल जी स्वय यह कार्यक्रम देखने आए थे। अपने वचनों पर खरा उतरते है - प्राण जाए पर वचन न जाएं इन्होंने संगीत के लिए जो वचन, प्रण , व वादे किए है उसमे व पीछे नहीं हटते चाहे भले प्राण जाए। अर्थात् हिम्मत एवं हौंसलो  का दूसरा नाम है अनुराधा जी पाल।

संगीत के प्रति है पूरा जीवन समर्पित - संगीत के प्रति इनका समर्पण इस कद्र हावी है कि उनके दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ नया सूझता रहता है एवं दिमाग में कई नई धुने घूमती रहती है एवं उन धुनों पर अनुप्रयोग करके कई संगीत में नवाचार किए है। स्त्री शक्ति,सु फो रे ,रिचार्ज ,डांसिंग रैन ,आदि इनके संगीत में किए गए प्रमुख नवाचार है जो आज पूरे विश्व में लोकप्रिय है। तथा इस कारण लाखो लोग इनकी कला के दीवाने है। इन्हीं सब नवाचारों के कारण इन्हे नवाचारों की जननी कहा जाता है। एवं इनके नवचार केवल संगीत तक ही सीमित नहीं है बल्कि समाजसेवा में भी दिन प्रतिदिन नवाचार करते रहते है। 
 कला व कलाकारों के सम्मान व मदद के लिए है हर वक्त तत्पर  - सबसे जटिल कला शास्त्रीय संगीत,तबला वादन,लोक संगीत आदि में नए नए अनुप्रयोग कर नई पीढ़ी के लिए संगीत को संजो रहे है। कलाकार छोटा या बड़ा हो हर किसी का विनम्रतापूर्वक सम्मान करते है। तथा कलाकारों का दुख इनसे देखा नहीं जाता है। हाल ही में आई कोवीड महामारी मै इन्होंने सम्पूर्ण भारत में सेवा कर कई गरीब कलाकारो की मदद कर उनके जीवन पर इस महामारी को हावी नहीं होने नहीं दिया ।

अनुराधा पाल आज पूरे विश्व में प्रेरणा एवं ऊर्जा का स्रोत है। कैसी भी परिस्थिति हो इनकी जीवनी जरूर पढ़े आप जीवन में निश्चित ही सफल होंगे।

भारत सरकार द्वारा इस महान सख्सियस को कला संस्कृति,मानव ससाधन एवं अन्य क्षेत्र का ब्रांड एंबेसडर बनाकर तथा पदम पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए।ताकि आने वाली पीढ़ी भी इनसे प्रेरित हो सके।विश्व की महान तबला वादक अनुराधा पाल - अपनी कला के हुनर के दम पर लाखों लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ने वाली अनुराधा पाल नाम आज हर कोई जानता है। उनका संगीत जीवन को देखा जाए तो वाकई संघर्षमय एवं प्रेरणादायक है।  इला पाल व देवेन्द्र पाल के घर इनका जन्म हुआ। बचपन से संगीत का जूनून इस कदर हावी था कि बाकी बच्चो की तरह व खिलौनों से ना खेलकर वाद्य यंत्र (तबला)से खेलते थे।  शास्त्रीय गायन, तबला वादन में दस वर्ष की उम्र में ही निपुण हो गए थे।  उस दौर में महिलाओं का  जीवन सामाजिक तानो बानो,शिक्षा का अभाव, बाल विवाह , समाज में नारियों की भूमिका कम होना जैसी सामाजिक बेड़ियों से बंधा हुआ था। इनके सामने इनका सामना करना भी किसी चुनौती से कम नहीं था।इन सब बेड़ियों को पार कर नारी शसक्तीकरण की अदभुत मिशाल पेश की। मात्र 10 वर्ष की ही आयु में एकल प्रस्तुति देकर वाहवाही बटोरी। उसके बाद इनके संगीत जीवन में नए आयाम आए  तथा मात्र 13 वर्ष की आयु में देश के सबसे बड़े  ख्याति प्राप्त कार्यक्रम में देश के शीर्ष दिग्गजों के साथ तबला वादन किया। तबला आधुनिक वाद्य यंत्रों की तुलना में थोड़ा जटिल एवं मोहक वाद्य यंत्र है। अनुराधा पाल की अंगुलियों तथा हाथों में वो जादू है जो आज तक कोई समझ नहीं पाया है। इनकी अंगुलियों की स्पीड शताब्दी एक्सप्रेस की तरह चलती है । महान फनकार उस्ताद अलारखा खान एवं उस्ताद जाकिर हुसैन की शिष्या है अनुराधा पाल - माता - पिता व गुरुजन (उस्ताद)  की हमेशा यह कामना की होती की हमारे बेटे - बेटी या हमारा शिष्य - शिष्या हमसे भी ऊंचा नाम करे । इन सब की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए अनुराधा पाल जी संगीत में बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है। प्रमुख उपलब्धियां - 1 - सर्वप्रथम  मुंबई यूनिवर्सिटी द्वारा शिक्षा उत्कृष्टता के क्षेत्र में अवॉर्ड दिया गया ।
 2. - ऑल इंडिया यूथ फेस्टिवल द्वारा स्वर्ण पदक (वाद्य यंत्र वादन क्षेत्र) में दिया गया।

 3.  सुर सिंगर समसाद मुंबई द्वारा ताल मनी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

4. महाकालेश्वर समिति उज्जैन द्वारा महाकाल सम्मान से नवाजा गया। 

5. में रोटरी क्लब मुंबई द्वारा वोकेशनल एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित।

6.  भातखंडे ललित  शिक्षा समिति द्वारा ताल रत्न से सम्मानित।

7.  पंडित जसराज द्वारा सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का अवॉर्ड।

8.  महाराष्ट्र सरकार द्वारा सांस्कृतिक पुरस्कार ।

9.  में जी नेटवर्क द्वारा जी अस्तित्व पुरस्कार।

10. स्टार टीवी द्वारा स्टार ताल अवॉर्ड।

11.  कनाडा सरकार द्वारा एक्सीलेंस (उत्कृष्ट) अवॉर्ड से सम्मानित। 

12.  मालवा रंगमंच समिति एवं कालिदास अकादमी द्वारा अद्वितीय स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित।

13. मालवा रंगमंच समिति द्वारा मालवा ताल शिरोमणि से सम्मानित।

14.  मेवाड़ फाउंडेशन द्वारा डागर घराना सम्मान से सम्मानित।

15.  आण्विक विभाग द्वारा महिला सशक्तिकरण अवॉर्ड से सम्मानित।

16.  युवा पर्यावरण द्वारा वुमन अचीवर्स अवॉर्ड 

17. व प्रसार भारती द्वारा उच्च श्रेणी संगीतकार अवॉर्ड।

18 एफआईसीसीआई एफ एल ओ द्वारा वुमन अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित।

19. रोटरी क्लब मुंबई पश्चिम द्वारा रोटरी वोकेशनल सराहना पुरस्कार से सम्मानित।

20.  आशीर्वाद फाउंडेशन द्वारा सुरभि सम्मान से सम्मानित।

 21.  इन्नर व्हील क्लब मुंबई एयरपोर्ट द्वारा वुमन अचीवर्स अवॉर्ड ।

22 .  महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भारत के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद द्वारा प्रथम लेडीज अवॉर्ड से सम्मानित ।

23.  विश्व मानव संसाधन विकास कांग्रेस द्वारा  फेमिना वुमन सुपर अचीव पुरस्कार से सम्मानित।

24. मलायला मनोरमा स्वस्थी फाउंडेशन द्वारा स्वस्थी फाउंडेशन द्वारा वुमन अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित।

25.  महाराणा कुम्भा संगीत परिषद द्वारा महाराणा कुम्भा सम्मान से सम्मानित।

26.  वाग्धारा  और मुरारका फाउंडेशन द्वारा वाग्धारा  नवरत्न सम्मान से सम्मानित।

27.  कला प्रक्षिका पूरी द्वारा ब्रह्मावादिनी समान से सम्मानित।

28.  कला प्रक्षिका द्वारा माखन लाल हालदार पुरस्कार से सम्मानित।

29.  के एंड के सामाजिक फाउंडेशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ महिला तबला वादक का पुरस्कार जीता ।

30. रोटरी क्लब ऑफ थाने हिल्स द्वारा रोटरी एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित।

31. कला सचारय सोसाइटी द्वारा किशोरी अमोंकर समान से सम्मानित।

32.  सीएमओ ग्लोबल द्वारा वैश्विक वुमन वर्थ अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित।

Sunday, 12 September 2021

*चतुर्भुज मंदिर ओरछा*

*चतुर्भुज मंदिर* 

1.इस मंदिर को 1558 ई. से 1573 ई. के बीच राजा मधुकर शाह द्वारा बनवाया गया था। 

2.चतुर्भुज मंदिर एक हिंदू मंदिर है जिसे ग्वालियर के किले (मध्य प्रदेश, भारत), में पत्थरों में नक़्क़ाशी करके निर्मित किया गया है। 

3.एक ज़माने में यह मंदिर दुनिया में शून्य के सबसे पहले ज्ञात शिलालेख के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन अब बख्शाली पांडुलिपि को शून्य प्रतीक का उपयोग करने के लिए सबसे पहले माना जाता है।

4.ओरछा का चतुर्भुज मंदिर विष्णु का मंदिर है। यह मंदिर जटिल बहुमंजिला संरचना वाला है तथा मंदिर, दुर्ग एवं राजमहल की वास्तुगत विशेषताओं से युक्त है।

5.चतुर्भुज' का शाब्दिक अर्थ है- 'चार भुजाओं वाला' और भगवान राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

6.मंदिर की छत एक कम वर्गाकार पिरामिड है, जो धामनार मंदिर के समान है।मंदिर की मीनार (शिखर) उत्तर भारतीय नागर शैली है, जो धीरे-धीरे एक चौकोर योजना के साथ घूमती है, जो सभी अखंड पत्थर से तराशी गई है। यह एक शिलालेख विष्णु (वैष्णव) के लिए एक प्रशंसा के साथ खुलती है।

Economics questions important for all competition Exam

Important Economy Question Answer 

Q. भारत की राष्ट्रीय आय /जीडीपी में सर्वाधिक योगदान सेवा क्षेत्र का है। जबकि रोजगार दृष्टि से सर्वाधिक योगदान किस क्षेत्र का है?
Ans :- कृषि क्षेत्र 

Q. 1921 ई में प्रेजिडेंसियल बैंको का विलय कर दिया गया तथा इसका नया नाम क्या रखा गया?
Ans :- इम्पीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया 

Q. यदि धन का विक्रेता एक निश्चित समय बाद अपने धन को पुनः खरीदने का विकल्प अपने पास सुरक्षित रखता है। इस बाजार को क्या कहते है?
Ans :- रेपो बाजार 

Q. किस सुविधा के तहत अनुसूचित बैंक आरबीआई से एक दिन के लिए ऋण ले सकते है?
Ans :- एस. एस. एफ़ 

Q. बाजार की तरलता को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई का अतिरिक्त उपकरण कौनसा है। जिसके तहत प्रतिभूतियों की खरीद व बिक्री  की जाती है?
Ans :-खुले बाजार की क्रिया  

Q. यदि बजार में तरलता अधिक है अर्थात  उच्च मुद्रास्फीति की स्थति है। तो इसे नियंत्रित करने के लिए आरबीआई बैंक  रेट,सीआरआर,एसएलआर ,एसएसएफ़ और रेपो रेट को बढ़ाती तथा और किस रेट को बढ़ाती है?
Ans :- रिवर्स रेपो रेट 

Q. उर्जित पटेल कमेटी के द्वारा आरबीआई का क्या उद्देश्य होना चाहिए?
Ans :- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना 

Q. 2016 में किस समिति का गठन किया गया जिसके लिए 2015 में ससंद में एक अधिनियम पारित किया गया था?
Ans :- मौद्रिक निति समिति 

Q. आरबीआई किसकी सहायता से मुद्रा आपूर्ति करता है?
Ans :- बैंको की 

Q. किस वित्त आयोग के आधार पर भारत संघ के किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है?
Ans :- 14 वें वित्त आयोग

Q. यदि किसी वस्तु की मांग और आपूर्ति समान मात्रा में बढ़ी हो तो उस वस्तु के बाजार मूल्य पर क्या प्रभाव पढ़ेगा?
Ans :- स्थिर रहेगा

Q. वायदा बाजार आयोग का मुख्यालय कहाँ है?
Ans :- मुम्बई

Q. MIBOR का पूरा नाम क्या है?
Ans :- मुम्बई इंटरबैंक ऑफर रेट

Q. RBI के बैंकिंग विभाग का मुख्य कार्य क्या है?
Ans :- संचलन में मुद्रा जारी करना और संचलन से इसकी वापसी करना

Q. कीमतों, आय, उत्पादन और रोजगार के सामान्य स्तर में स्थिर वृद्धि को क्या कहते हैं?
Ans :- वसूली

Q. भारतीय बाजार का वॉच डॉग किसे कहा जाता है?
Ans :- SEBI

Q. भारत सरकार द्वारा कर सुधार समिति की स्थापना कब की गई?
Ans :- 1991

Q. भारत में वित्तीय स्थिरता मंच की स्थापना कब हुई?
Ans :- 1999

Q. राष्ट्रीय बागवानी मिशन किस पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू हुआ?
Ans :- 10वीं

Q. राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) जो रबी सीजन 1999-2000 के बाद से केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में शुरू हुई, को हाल ही में संशोधित किया गया है। संशोधित NAIS कितने जिलों में शुरू की गई है?
Ans ;- 50 जिलों

Q. राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के अनुसार, राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण ज़ोन का न्यूनतम क्षेत्रफल कितना होना चाहिए?
Ans :- 5000 हेक्टेयर

Q. राष्ट्रीय पधार्थ से सकल लाभ में कितना % कृषि उद्योग का योगदान है ?
Ans :- 17.5 %

Q. भारत में उच्चतम मानव विकास सूचकांक(HDI) किस राज्य में है ?
Ans :- केरल

Q. हमारे देश में किस मुद्रा को वैधानिक मान्यता प्राप्त है ?
Ans :- पत्र-मुद्रा

Q. किस धातु का मुद्रा के रूप में सर्वाधिक प्रयोग हुआ है ?
Ans :- चाँदी और सोना
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Friday, 6 August 2021

kutle khan

अपनी कला के हुनर के दम लाखो लोगो के दिलो पर अमिट छाप छोड़ने वाले मांगणियार घराने के अनमोल मोती, आदरणीय कुटले खान जी को संगीत के भगवान आदरणीय ए आर रहमान सर के साथ म्यूजिक साझा करने पर हार्दिक बधाई। हर एक कलाकार अपनी पूरी ताकत झोंक देता है रियाज में।की वो भी अपने देश को कुछ अच्छा संगीत दे। उसकी बरसो रियाज का फल जब वह संगीत के दिग्गजों के साथ मंच साझा करें,विश्व के हर क्षेत्र में अपने भारत देश का झंडा गाड़ दे,अपनी राजस्थानी संस्कृति को गौरवान्वित करे, बोलीवूड में अपना डंका बजाए,कई नामी पुरस्कारों से सम्मानित किया जाए ।तब जाकर उसे व उसे चाहने वालों को सुकून मिलता है। हर एक कलाकार का सपना होता है संगीत के भगवान ऑस्कर अवॉर्ड विजेता ए आर रहमान सर के साथ संगीत में योगदान दे। हाल ही में रहमान सर का आया गीत परम सुंदरी में कुटले खान ने गायन , खड़ताल वादन, व मोरचंग वादन किया है। इस गीत में रहमान सर के साथ श्रेया घोषाल,अमिताभ भट्टाचार्य, कृति सनोन,पंकज त्रिपाठी, रणजीत बारोट सर, कूटले खान साहब सहित भारत की कई नामचीन हस्तियां शामिल है। इस गीत ने सारे  रिकॉर्डो को ध्वस्त कर दिया है । यूट्यूब में शीर्ष 5 पर काबिज इस गाने में को मात्र 3 दिनो में 36 मिलियन से अधिक लोग इस गाने को देख चुके है । इससे पूर्व  कोक स्टूडियो,टॉलीवुड फिल्मों, आइफा,जेएलएफ,प्रो कबड्डी लीग, टाईफा, ईशा फाउंडेशन, जीमा आवर्ड,सहित विश्व के 80 से अधिक देशों में अपनी कला परचम लहरा चुके है। 10-12 वाद्य यंत्रों को बजाने में महारथ है कुटले खान। कूटले खान अच्छे संगीतकार के साथ साथ मानवता के भी धनी है । विश्व के बेहतरीन लाइव शो कर्ता है । इनकी परफॉर्मेंस पर पब्लिक झूमने को मजबूर होती है । कुटले खान सलीम सुलेमान, मिडेवल पंडित, जोनिता गांधी, पपोन, बी परक, खुदाबक्श ,कविता सेठ,सहित बॉलीवुड की कई नामचीन हस्तियों के साथ अपनी स्वर लहरिया बिखेर चुका है।

Wednesday, 4 August 2021

ई - R U P I योजना

ई रूपी योजना -  ₹ यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यह योजना डिजिटल भुगतान के लिए केशलेश और संपर्क रहित साधन है।यह एक क्यूआर कोड या एसएमएस स्टिंग आधारित ई - वाउचर है जो लाभार्थियों के मोबाइल पर पहुंचाया जाता है ।इस निर्बाध एकमुश्त भुगतान तंत्र के उपयोगकर्ता सेवा प्रदाता कार्ड ,डिजिटल भुगतान एप्प इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के बिना इस वाउचर को भुनाने में सक्षम होंगे। यह उद्देश्य और व्यक्ति विशिष्ट है।इसे नेशनल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने अपने यू पी आई  प्लेटफार्म पर वितिय सेवा विभाग,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से विकसित किया है। ई - आर यू पी आई बिना किसी भौतिक इंटरफेस के डिजिटल तरीके से लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं के साथ सेवाओं के प्रदाताओं से जोड़ता है।यह यह सुनिश्चित करता है कि लेन देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान किया जाए। प्री-पैड प्रकृति होने के कारण यह सेवा प्रदाता को बिना किसी मध्यस्थ की भागीदारी के समय पर भुगतान का आश्वासन देता है। ई आर यू पी आई का उपयोग - आयुष्मान भारत ,प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना,उर्वरक सब्सिडी, मातृ एवं बाल कल्याण योजनाओं, टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों,दवाओं और निदान के तहत दवाएं और पोषण सहायता प्रदान करने के लिए योजनाओं के तहत सेवाएं देने के लिए भी किया जा सकता है। यहां तक कि निजी क्षेत्र भी अपने कर्मचारी कल्याण और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी कार्यक्रमो के हिस्से के रूप में इन डिजिटल वाउचरों का लाभ उठाया जा सकता है। ई आर यू पी आई के लाभ - सेवाओं का लक्षित वितरण,रिसाव रहित योजना,पारदर्शिता,समाज के वे लोग जो बैंकिंग से नहीं जोड़े गए है उनको भी लाभ मिलेगा,सेवाओं को प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार के इंटरनेट बैंकिंग,बैंकिंग एप्प की आवश्यकता नहीं होगी। कैशलेस पेमेंट व डिजिटल भुगतान को बढ़ावा।

Monday, 21 June 2021

World Music day

विश्व संगीत दिवस - संगीत शब्द सुनते ही रोम - रोम में एक अलग ही उत्साह चेतना जाग्रत हो जाती हैं । समस्त नकारात्मक बातो से परे यह संगीत ले जाता है। जो व्यक्ति संगीत में खो जाता है वह हमेशा आत्मविश्वास,जोश,उमंग से लबरेज होता है।प्रसिद्ध कलाकार स्वर्गीय दपू खान अपने सस्मरण में बताते है कि जिस घर में संगीत बजता है उस घर में शांति,प्रेम,भाईचारा बना रहता है।एवं देवता निवास करते है । सर्वप्रथम फ्रांस में आज ही के दिन 1982 में मनाया गया।सभी संगीतकारों एवं संगीत प्रेमियों के लिए यह दिन सबसे बड़ा पर्व होता है।किसी भी देश की संस्कृति उनके संगीत व कला के ही इर्द गिर्द होती है । फ्रांस से शुरू हुआ यह संगीत दिवस पूरे विश्व में लोकप्रिय हुआ।भारत संगीत के क्षेत्र में  विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय है। विविध प्रकार की कलाओ से भरा भारत में कई मनमोहक वाद्ययंत्र है। मै ऐसे सुदूर प्रदेश से आता हूं। जिसकी पहचान ही संगीत से है। वो तपती रेत ,मखमली धोरे,कृषि रहित प्रदेश, जिसका नाम सुनते ही लोगो में भय सा माहौल व्याप्त हो जाता है। लेकिन संगीत व सांस्कृतिक विरासत पर्यटकों को यहां आने को मजबूर कर देती। इस धरती पर सबसे मीठा फल पिलू है।उससे ही बढ़कर मिठास है यहां के मांगणियार कलाकारों की आवाज। रेगिस्तान प्रदेश को रागिस्तान कहा जाए तो भी ठीक है। जो रागो से भरा पड़ा है । खड़ताल ,कमायचा प्रमुख वाद्य यंत्र है। नुसरत फतेह अली खान साहब ,आतिफ असलम ,लता मंगेश्कर अनुराधा पाल तथा समस्त मांगणियार गायक मेरे सर्वाधिक पसंदीदा कलाकार है । अनुराधा पाल - प्रसिद्ध तबला वादक है तबला  अन्य वाद्य यंत्रों की तुलना में मोहक तथा जटिल वाद्य यंत्र है। अनुराधा पाल जी ने तबला पर अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया प्रथम भारतीय महिला जिन्होंने तबला वादन में महारथ हासिल की।इनकी सबसे बड़ी विशेषता है कि श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करना एक साथ 4 लाख स्रोताओं के सामने प्रस्तुति देने का विश्व कीर्तिमान है।

Friday, 4 June 2021

लोकगीत

राजस्थानी लोक गीत -  वह गीत जिसका कोई लेखक अज्ञात हो,दैनिक काम,रीति रिवाज , व सामान्य बोलचाल भाषा में गाए गीत है।महात्मा गांधी के अनुसार लोक संगीत ही जनता की भाषा है। राजस्थानी लोक गीतों की विशेषताएं - 1.लोकगीतों के माध्यम से राजस्थान की संस्कृति का पता चलता है।2.लोक गीतों में पशु पक्षियों व पेड़ पोधो को संबोधित किया गया है।तथा उन्हें परिवार के सदस्य की भांति माना गया है।एवं उन्हें मनुष्य के सुख दुख में शामिल किया गया ।3.लोक देवी देवताओं के गीत निराश मन में आशा का संचार करते है। 4.लोक गीतों में श्रंगार रस के बावजूद अश्लीलता नहीं है।तथा यह लोक गीत आदर्श पति पत्नी के प्रेम पर आधारित है।5. राजस्थान में सामंतों के प्रभाव से वीर रस पर आधारित है।एवं मांगणियार कला को संरक्षण मिला।6.लोकगीतों के कानून कायदे नहीं है इसके बावजूद राजस्थानी लोक गीतों से शास्त्रीय संगीत विकसित हुआ। हर पर्व पर अलग - अलग गीत है।  राजस्थान के प्रमुख गीत - 1.केसरिया बालम - राजस्थान का राज्य गीत, मांड गायन शैली में लोकप्रिय,इसमें पत्नी अपने प्रदेश गए पति को वापस आने को कहती है। यह राजशाही गीत है।अल्लाह जिलाही बाई प्रसिद्ध गायिका है इस गीत की।।2. गोरबंध - गोरबंध ऊंट के गले का आभूषण होता है।इसे बनाते समय जो गीत गाया जाता है उसे गोरबंध कहते है। 3.मोरियो - ऐसी लड़की द्वारा गीत गाया जाता है जिसकी सगाई हो चुकी है लेकिन विवाह होना बाकी है मोरिया आछो बोल्यौ ढलती रात रो। 4. कुरजा - पत्नी प्रदेश गए पति को कुरजा पक्षी के माध्यम से संदेश भेजती है। 5. सुंवटियो - भील महिलाएं तोते के माध्यम से प्रदेश गए पति को संदेश भेजती है। 6. कागा - पत्नी कोवे को उड़ाकर पति के घर आने का शगुन मानती है। 7. पावना - दामाद के ससुराल आने पर गाए जाने वाले गीत 8. बधावा - किसी शुभ काम के लिए गाए गए गीत ,अर्थात गजानंद या विनायक गीत भी कहते है। 9. जलो या जलाल - बारात का डेरा देखने जाते समय गाया जाने वाला गीत 10. तोरनियो - जब दूल्हा तोरण मारता है उस समय यह गीत गाया जाता है।11. हालरियो या जच्चा - नए बच्चे के जन्म पर गाया जाने वाला गीत।12. मूमल - नारी सौंदर्य गीत।मूमल जैसलमेर की खूबसूरत राजकुमारि थी जो अमरकोट के राणा महेंद्र से प्यार करती थी।मूमल मांड राग में गाया जाता है।लेकिन दपू खान का गाया हुआ राणा राग में सर्वाधिक लोकप्रिय है। 13. हिचकी- अपने प्रियतम कि याद का गीत ,मेवात क्षेत्र का लोकगीत 14. सीठनो- महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले गाली गीत। 15 .हमसीढो - भील महिला पुरुषों द्वारा गाया जाने वाला गीत।16. कामन- दूल्हे को जादू टोनो से बचाने के लिए गीत 17. ढोला मारू - सिरोही क्षेत्र का लोकगीत दाढ़ी जाति के लोगों द्वारा गाया जाता हैं। 18. झोरावा-  जैसलमेर क्षेत्र का लोकगीत जो किसी की याद में गाया जाता है। 19. शेखावाटी व मारवाड़ क्षेत्र का लोकगीत जो महिलाओं द्वारा गणगौर व तीज को गाया जाता है। 20. चिरमी - ऐसी लड़की द्वारा गाया जाने वाला गीत,जो अपने ससुराल में है।तथा अपने पीहर को याद करती है। 21 .ओल्यु/कोयल - लड़की को विदाई देते समय यह गीत गाया जाता है। 22. पणिहारी - यह पतिव्रता का गीत है। 23 . पपीहो पति पत्नी का दाम्पत्य प्रेम गीत है।

Wednesday, 12 May 2021

Kala khan manganiyar lakha



*जांगडू गायकी और कामायचा वादन के सिद्धहस्त कला खान का निधन*

*इतिहास और पारंपरिक शुभराज में हासिल थी महारत*

कमायचा वादन के सिद्धहस्त हस्ताक्षर लोक कलाकार कला खान का बीते सोमवार को रमजान के सत्ताईसवे रोजे के दिन निधन हो गया. जिसके पश्चात उनके पैतृक गांव लखा सहित आसपास के क्षेत्र में शौक की लहर छा गई.कमायचा वादन के क्षेत्र में यह गंभीर क्षति है क्योंकि कुछ समय पूर्व ही लोक कलाकार दप्पू खान का भी निधन हो गया था. कामायचा आधुनिक यंत्रो के तुलना में बेहद कठिन और मोहक वाद्य यंत्र है

*दिल है हिंदुस्तानी फेम से संबंधित थे कला खान*

कला खान कई विश्व प्रसिद्ध मंचो पर अपनी चमक बिखेर चुके दिल है हिंदुस्तानी फेम का चेहरा थे.फेम के फकीरा खान का विशेष लगाव था.इनको प्रसिद्ध मरुधरा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.कलाओं की कद्र करने वाले लोगों के लिए कला खान ड़िंगळ ग्रन्थ थे. फकीरा खान अपने संस्मरण में बताते है कि यह मुलाकात यूं निखरी की कभी ऐसा न लगा कि हम अलग अलग है.कला खान जी को कलाओं की समझ उनके पिताजी फतेह खान से विरासत के रूप में मिली थी.कला खान का निजी जीवन अगर महाग्रंथ सा था तो उसके समक्ष सामाजिक जीवन बहुत छोटा प्रतीत होता है.कलाओं से राबता रखने वाले कला खान का संगीतज्ञ किरदार व्यापक फलक पर बिछा हुआ है.ये उनका प्रेम ही थी कि उन्होंने अपना सारा जीवन कमायचा वादन में बिता दिया.कलाकार कला के प्रति जितना संजीदा हो सकता है ये कला खान का चरित्र दिखाता है.

*ड़िंगल की जांगडू गायकी के लिए रहे हमेशा से चर्चित*

ड़िंगळ का व्याकरण ज्ञान विस्तृत फैला हुआ है जिसमे से हर एक विधा की गायकी और सुर साज में अंतर होता है.ड़िंगळ छंदों में व्याकरण के बदलने के साथ सुरों में भी बदलाव आता है.कला खान जांगड़ा छंद (गीत) के ज्ञाता और वाचक थे.ड़िंगळ की जांगडू गायकी गाते हुए जब उनके हाथ से कमायचा बजता तो हर कोई कायल हो जाता.किताबी पढ़ाई लिखाई से दूर होते हुए भी कला खान ड़िंगळ छन्दो और शुभराजो को कंठस्थ कर सुनाते थे.साझा संस्कृतियो की धरोहर इस कलाकार के जाने से कला जगत को जो हानि हुई है वह अपूरणीय है.

*शुभराज व सादगी से कमाई यश-संपदा*

शुभराज पूर्वजो के छंदबद्ध ऐतिहासिक वर्णन को कहते है.सामान्यतः माँगनिहार कलाकार ही शुभराज के गायक होते है.आप लखा के खोखर राजपूतों व केसरिया राजपुरोहितों के इतिहास की गहरी समझ रखते थे.खोखरो का शुभराज अर्थात यशोगान करते समय वे खुद तो ओज से भरते ही थे सुनने वाले में भी तरंग उठ जाती.गनी खान बताते है कि चार घण्टो तक लगातार शुभराज करते थे कला खान.ड़िंगळ के ज्ञान,कमायचा वादन की प्रतिभा,ओर शुभराज की समझ के बावजूद खुद को सादा बनाये रखा.उम्र और ओहदे बढ़ने के साथ कई महत्वपूर्ण नाम भी जुड़ते गए.जिनमे पूर्व महाराजा गज सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. जसवंत सिंह जसोल का नाम विशेष है.
                            

Wednesday, 5 May 2021

काष्ठ चितेरा त्रिलोकजी मांडण

कला व कलाकारों की धरती राजस्थान कला के क्षेत्र में भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में कला के क्षेत्र में अग्रणी है। राजस्थान की उतरी सीमा का प्रहरी जिला हनुमानगढ़ में एक छोटा सा गांव है ढंढेला जहाँ पर प्रसिद्ध मूर्तिकार त्रिलोक मांडण जी का जन्म हुआ, त्रिलोक मांडण अर्थात् तीन लोक में महान मांडने वाला नाम के अनुरूप काम किया, इनकी विशेषता यह है कि लकड़ी को किसी भी आकार में ढालकर आकृषित करने वाली काष्ठ प्रतिमा बनाते है यह कला मात्र कुछ व्यक्तियों के पास होती है जिसमे वे खुद के हुनर को अधिक रंग देते है काष्ठकृतियाँ स्वयं पैगाम देती है व्यक्ति के हुनर को कि वो मूझसे कितनी मोहबत करता है, इन्होंने कई काष्ठकृतियाँ बनाई है ए. पी. जे अब्दुल कलाम, भगवान श्री राम, बाबा साहेब बी आर अंबेडकर, आदि तथा सबसे छोटा हल बनाने का रिकॉर्ड गिनीज वर्ल्ड बुक में रिकार्ड है इनके हाथो व अंगुलियों में जिंदगी को हुबहु लकड़ी पर उतारने की कला है। विश्व के एकमात्र कलाकार जिसने अपनी कला को व्यवसाय न बनाकर, अपनी कृतियों को म्यूजियम बनाकर उसमें संजोए रखा है, , राजस्थान में जीवन का असीम आनंद है जिंदगी के रंग रूप संघर्ष व्यक्तिव में निखार मोती के समान है। इनकी बरसो, की तप्सया का परिणाम है त्रिलोक जी जितने बड़े कलाकार है उतने ही बड़े विरले व्यक्तिव के धनी है,मै व्यक्तिगत रूप से इनसे कभी  नहीं मिला हुआ हू मेरे सोशल मीडिया के माध्यम से इनसे परिचित हू , आज के इस प्रतिस्पर्धि दौर में हर कोई अपने काम से मतलब रखता है। लेकिन यह हर वक्त सभी की मदद के लिए तत्पर, विध्यर्थियों,युवा कलाकारों को उचित मार्गदर्शन करते रहते है, सरकार की अनदेखी के कारण इनका सपना पूरा नहीं हो पाया सरकार नई शिल्पी पीढी़ तैयार करने, व शिल्प संग्रहालय खोलकर इनका सपना पूरा करने में मदद करे। त्रिलोक जी एक सख्शियस् ही नहीं बल्कि अमूल्य वैश्विक धरोहर है। हर किसी से बड़ी सहज, विनम्र, सरल अंदाज में वार्तालाप करते है, विश्वकर्मा रत्न, राजस्थान गौरव रत्न सहित कई  पुरस्कारों से सुशोभित हो चुके  मांडन जी को भारत सरकार का उच्च नागरिक पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए। युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। Image credit- त्रिलोक मांडन जी फेसबुक् दीवार से। 

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